पेड़ों पर संकट : पेड़ों पर कील ठोक,हरे भरे वृक्षों की दे रहे बलि दूसरी मुख्य खबर पेज 8 बोर्डों पर लिखी दोषियों की जानकारी फिर भी नहीं होती कार्यवाही

 


गाडरवारा। पर्यटन नगरी गाडरवारा की सड़कों और गलियों के किनारे खड़े पेड़ विज्ञापन का जरिया बन गए हैं। स्वार्थी लोगों और संस्थानों ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए पेड़ों पर अपने विज्ञापन वाले बोर्ड,बैनर टांग दिए हैं।इन्हें टांगने के लिए पेड़ों में मोटी-मोटी कीलें ठोक दी गई हैं।इस वजह से वर्षों पुराने पेड़ भी सूख रहे हैं।हैरत की बात है कि पेड़ों पर विज्ञापन टांगने वाले कोई जाहिल और नासमझ लोग नहीं हैं।ऐसा करने वालों में कई शैक्षणिक संस्थान और शहर के नामी-गिरामी व्यवसायी भी शामिल हैं।वे अच्छी तरह जानते हैं कि पेड़ों पर कीलें ठोककर वे उन्हें और अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं।दूसरों को वे पेड़ों को नुकसान पहुँचाने के दुष्परिणामों के बारे में बताते हैं,लेकिन खुद उन बातों पर अमल नहीं करते। स्वार्थ ने उनके सोचने-समझने की शक्ति कम कर दी है। 

 

रक्षक ही बने भक्षक 

पेड़ जिस पर कील लगाना कानूनन जुर्म है,उस पर बोर्ड टांग कर स्कूल का तो अवश्य नाम हो रहा है,परंतु पेड़ का काम खराब हो रहा है।शहर के नामी स्कूलों द्वारा एक तरफ तो पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए ”पेड़ लगाओ,पर्यावरण बचाओ” का संदेश देने की कोशिश की जा रही है,वहीं दूसरी तरफ पेड़ों का सीना छलनी कर हरे भरे पेड़ों की टहनियों को भी तहस-नहस कर बोर्ड टांग कर स्कूल का नाम चमकाने की कोशिश की जा रही है। 

इन जगहों पर लगे विज्ञापन 

गाडरवारा नही अपितु ये उल्लंघन पूरे प्रदेश में हो रहा है कहीं शैक्षणिक संस्थाएं तो कहीं फैक्ट्रियां,जिसे जहाँ उचित लगा उसी ने पेड़ पर विज्ञापन लगाने के लिए नियम और कायदों को तोड़ दिया गाडरवारा में भी साईंखेड़ा मुख्य रोड,चीचली रोड, सालीचौका मुख्य मार्ग,करेली मुख्य मार्ग,गाडरवारा शहर जहाँ भी सड़कों पर बड़े मोटे व हरे भरे पेड़ पौधे मिले,पर्यावरण के दुश्मन उनपर अपनी कंपनी ओर संस्थान का विज्ञापन लगाने से नही चूके।पूरे जिले में वृक्षों की हालत विज्ञापन लगाने के चलते बेहद ही दयनीय है,कम समय मे ही पेड़ गिरने पर आ गए हैं।लेकिन हमारा प्रशासनिक अमला सो रहा है। 

 

एनजीटी के आदेश हुए हवा-हवाई

पर्यावरण के अपराधियों को अधिकारियों को ढूंढने की जरूरत नही है क्योंकि उनकी सारी जानकारी उस बोर्ड में ही मिल जाती है।वावजूद इसके प्रशासन उन पर कार्यवाही नहीं करता।स्थानीय राजस्व विभाग एवं जिम्मेदार वन विभाग भी इसे लेकर चिंतित दिखाई नहीं दे रहा।जिसके कारण आये दिन लोगों के विज्ञापन के कारण पेड़ों को विज्ञापन की बली चढ़ना पड़ रहा है। एनजीटी इसको लेकर पूर्व में ही आदेश जारी कर इसपर प्रतिबंध लगा चुका है और अधिकारियों को निर्देशित कर चुका है।वावजूद इसके एनजीटी के आदेश पर धरातल ओर अमल होता दिखाई नही दे रहा है।

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