गाडरवारा। सरकार योजनाएं तो कई लागू करती है जिसके कई काम जमीनी स्तर पर किए जा रहे हैं लेकिन उनका वास्तविक लाभ लोगों तक पहुँच भी पा रहा है कि नहीं,अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करना भूल जाते हैं ।ऐसा ही हाल इन दिनों गाडरवारा जवाहर कृषि उपज मंडी में बने किसान विश्राम ग्रह का है,जहाँ पर इन दिनों ताला लटका हुआ है,जब हमने इस संबंध में किसानों से बात की तो उनका कहना था कि इमारत जब से बनी है जब से हमने इसको आज तक किसानों के रुकने की व्यवस्था के लिए खुलते नहीं देखा।कुछ दिनों पूर्व इस विश्राम गृह में भूमि विकास बैंक हुआ करती थी जो पिछले कुछ सालों से दूसरे बैंक में मर्ज हो गई है।करोड़ों की लागत से बनी इस बिल्डिंग में इन दिनों गंदगी का अंबार है, वही मंडी प्रशासन की उदासीनता के चलते हैं,यह लाखों की बनी बिल्डिंग कबाड़ में तब्दील होती दिखाई दे रही है,जिस पर प्रशासन और मंडी के अधिकारियों का ध्यान ना जाना भी कई सवाल खड़े करता है कि आखिर हफ्तों अपनी फसल को बेचने को लेकर मंडी में सोने को मजबूर अन्नदाता के लिए विश्रामगृह तो बना है,मगर उसमें ताला लगा होने के कारण मजबूरन किसान को खुले आसमान के नीचे अपनी फसल के रखरखाव के लिए बाहर सोना पड़ता है।अब ऐसे प्रशासन की लापरवाही और किसान की बदकिस्मती ही कह सकते हैं कि विश्रामगृह तो बना है मगर उसका वास्तविक लाभ जिनको मिलना था उनको नहीं मिल पा रहा है यदि इसमें ताला ही लगाना था तो फिर से बनाने का क्या औचित्य ।
रखरखाव का अभाव
इस विश्राम के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है और हमेशा ही ताला लगा रहता है।पिछले कई सालों से इस विश्राम गृह में ना तो सफाई हुई और ना ही इस की पुताई।यहाँ तक इसमें ऊपर लिखे नाम तक मिट गए हैं,जिससे यह समझ नहीं आता कि यह इमारत किसके लिए है, किस उद्देश्य के लिए बनाई गई है।एक तरफ जहाँ किसान अपनी फसल को बेचने के चलते मंडी प्रशासन को तमाम प्रकार के टैक्स देता है,उन्हीं टैक्स के पैसों से उसे प्रशासन इस प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराता है।जिसमें यह विश्रामगृह भी सम्मिलित होता है।लेकिन रात में सोने के लिए किसानों के लिए विश्रामगृह तो है लेकिन बंद रहने से उन्हें गर्मी सर्दी बरसात में बाहर सोना पड़ रहा है।
लापरवाह है अधिकारी
जवाहर कृषि उपज मंडी में ना तो रोजाना सफाई की जाती और ना ही यहाँ बने भवनों को किसानों के लिए कभी खोला जाता है।मंडी में कुछ मूलभूत सुविधाएं तो है लेकिन उनके होने के बाद भी उनमे ताला डला होने से उनका फायदा यहाँ आने वाले किसानों को नही मिल पाता,वही जवाहर कृषि उपज मंडी में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी कैंसे प्रशासन की मंशा पर पानी फेरते है,यह खबर में लगी तस्वीर को देखकर ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
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