शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा जयंती पर ''जनजातीय गौरव दिवस” आयोजित करते हुए विविध कार्यक्रम सम्पन्न किए गए।उक्त कार्यक्रम में एन.एस.एस,एन.सी.सी. और अन्य विद्यार्थियों के साथ मुख्य अतिथियों में डॉ. सतीश दुबे, डॉ. आर.बी. सिंह,डॉ. आलोक तिवारी की उपस्थिति में आयोजित किया गया।इस अवसर परएन.एस.एस. कार्यक्रम अधिकारी डॉ. जी.एस. मर्सकोले,डॉ. राजेश कुमार ठाकुर,डॉ. रानी कुमारी,प्रो. भरत ठाकुर,डॉ. जगदीश सेन,डॉ. समीर भैंसारे,सतीश बैस,संदीप नागौत्रा,डॉ. दिलीप ग्वालिया,डॉ. भावना मेहता,डॉ. राकेश पटले,सुश्री नेहा राठौर आदि ने भी अपनी उद्गार जाहिर किए।जिसमें भारत सरकार द्वारा आदिवासी समाज के नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा के जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातीयों के विशेष योगदान को डॉ. सतीश दुबे द्वारा विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की गई।डॉ. आर.बी. सिंह द्वारा आदिवासी समुदायों में अवतरित भगवान बिरसा के जीवन वृतांत का विवरण दिया गया।डॉ. आलोक तिवारी द्वारा बिरसा मुण्डा के विद्रोह का संक्षिप्त वर्णन बहुत ही ओजस्वी शब्दों में किया गया।इतिहास विभाग के प्रो. अमित कुमार ताम्रकार द्वारा सम्पूर्ण बिरसा के जीवन का संघर्ष विद्यार्थियों में जोश,जुनून के साथ बलिदान की गाथा का वर्णन किया गया।राजनीति विज्ञान के अतिथि विद्वान डॉ. दिलीप ग्वालिया द्वारा आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत का विस्तृत वर्णन किया गया।जिससे समस्त उपस्थित जनों का विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ भगवान बिरसा के अमूल्य योगदान को उजागर करने में अहम् भूमिका निभाई गई।कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय डॉ. रामता प्रसाद आम्रवंशी द्वारा किया गया।इस अवसर पर डॉ. आम्रवंशी ने बताया कि बिरसा मुण्डा ने अपने समाज के लोगों को जागृत करने के लिए नारा देते हुए कहा अबुआ देशुम,अबुआ राज,उलगुलान,उलगुलान,उलगुलान।
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