सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से नरसिंहपुर जिले में एक बड़े रेत घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।शासन के खनिज पोर्टल में छेड़खानी कर इस 10 करोड़ रुपये के रेत घोटाले को अंजाम देने के आरोप जिले की पूर्व रेत ठेकेदार कम्पनी धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज पर हैं।शिकायत में कई बड़े अधिकारियों की मिलीभगत बताई गई है।यह मामला अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भी पहुँच गया।मामले के शिकायतकर्ता करेली निवासी आरटीआई एवं सामाजिक कार्यकर्ता रमाकांत कौरव ने 21 जुलाई 2022 को महानिदेशक ईओडब्ल्यू के समक्ष एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की थी,जिस संज्ञान लेते हुए ईओडब्ल्यू द्वारा दिनांक 10 नवम्बर 2022 को प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग मध्यप्रदेश को स्मरण पत्र जारी कर शिकायत पर शीघ्र तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा गया है।
शिकायतकर्ता रमाकांत कौरव ने शिकायत में उल्लेख किया है कि माइनिंग कारपोरेशन भोपाल से आरटीआई के तहत धनलक्ष्मी कम्पनी ठेका शुरू होने के समय से नदियों से उत्खनन कर निकाली गई,रेत एवं खुद के भण्डारणों में स्टॉक की गई,रेत की जानकारी निकलवाई तो होश उड़ाने वाली जानकारी निकलकर सामने आई।जानकारी में दिख रहा है कि धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज द्वारा ठेका अवधि शुरू होते से ही जून 2020 में इस घोटाले को अंजाम दिया गया था।जिसमें फर्जी ईटीपी जारी कर महज 5 दिनों में लगभग 3 लाख घन मीटर रेत का स्टॉक करना दिखाया गया था,जो कि फर्जी था।महज कागजों में था,वास्तविकता में स्टॉक किया ही नहीं गया।9 घन मीटर रेत लोडिंग क्षमता के डंपरों में 1 ट्रिप में 11502 घन मीटर रेत ले जाना दिखाया गया है,वहीं 1 घन मीटर की क्षमता वाली ट्रैक्टर ट्राली में 60 घनमीटर रेत ले जाना दिखाया गया है एवं रेत परिवहन हेतु इतनी मात्रा की फर्जी ईटीपी जारी की गई हैं।माइनिंग कारपोरेशन मुख्यालय भोपाल एवं खनिज साधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से जालसाजी करते हुए मप्र शासन के खनिज पोर्टल में छेड़खानी कर उक्त फर्जी ईटीपी जारी की गई हैं।एक एक खदान से महज एक से दो दिन में खदान की पूरे साल के लिए स्वीकृत कुल रेत की मात्रा में से 76% तक रेत निकालना दिखाया गया है,जो कि व्यवहारिक रूप से असम्भव है।उक्त रेत का स्टॉक करना दिखाया गया है।इस तरह महज 5 दिनों में लगभग 3 लाख घन मीटर रेत का स्टॉक करना दिखाया गया था।बाद में जुलाई, अगस्त एवं सितंबर माह में मानसून सीजन के चलते नदियों से रेत उत्खनन पर रोक लग जाने के बाद तत्कालीन कलेक्टर की मिलीभगत से 3,14,230 घन मीटर रेत का अवैध उत्खनन किया गया है एवं अवैध रेत के परिवहन हेतु वाहनों को धनलक्ष्मी कम्पनी द्वारा दिखाए गए फर्जी स्टॉक से ईटीपी जारी की गई हैं।नरसिंहपुर जिले में 315 रुपये घनमीटर के हिसाब से रेत का ठेका धनलक्ष्मी कम्पनी को मिला था।इस दर से 314230 घनमीटर रेत लगभग 10 करोड़ रुपये कीमत की होती है।तत्समय के नियमानुसार अवैध उत्खनन पर 50 गुना तक जुर्माना लगता था,इस हिसाब से करीब 500 करोड़ रुपयों का जुर्माना बनेगा इस रेत घोटाले के आरोपियों के विरुद्ध।
बता दें कि इस शिकायत पर प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग द्वारा दिनांक 13 सितंबर को 3 सदस्यीय जाँच दल गठित किया था,बाद में 12 अक्टूबर 2022 को 2 सदस्य और बढ़ाते हुए 5 सदस्यीय जाँच दल का पुनर्गठन कर एक सप्ताह में रिपोर्ट शासन के समक्ष प्रस्तुत करने निर्देशित किया था,जिस पर 18 अक्टूबर को उक्त जाँच दल,जाँच करने नरसिंहपुर भी आया था लेकिन जाँच रिपोर्ट का अब तक कुछ पता नहीं है।जाँच अधिकारियों से बात करने पर रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करने की बात कही जाती है।
"पूर्व कलेक्टर वेदप्रकाश सहित कई बड़े अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप"
शिकायतकर्ता द्वारा 21 जुलाई को ईओडब्ल्यू मुख्यालय में की लिखित शिकायत कर मांग की है कि इस 10 करोड़ रुपये के रेत घोटाले की दोषी रेत ठेकेदार कंपनी,धनलक्ष्मी मर्चेंडाइज के सभी संचालकों व माइनिंग कारपोरेशन मुख्य कार्यालय भोपाल सहित खनिज साधन विभाग भोपाल के अधिकारियों तथा तत्कालीन नरसिंहपुर कलेक्टर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वेदप्रकाश के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करते हुए,जालसाजी एवं भृष्टाचार की धाराओं में प्रकरण दर्ज कराने कराने के साथ,314230 घनमीटर रेत के अवैध उत्खनन को लेकर खनिज नियमों के अनुसार जुर्माना वसूला जाए एवं पर्यावरण को भारी क्षति पहुँचाकर अकूत काला धन अर्जित करने वाले उपरोक्त व्यक्तियों की संपत्ति की जाँच कराने की मांग भी की गई है।अब देखना होगा भृष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाली केंद्र की मोदी व प्रदेश की शिवराज सरकार इस बड़े भृष्टाचार पर क्या एक्शन लेती हैं।
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