जिले के नगर से लेकर ग्रामीण अंचल तक शिक्षा का कारोबार हो रहा है।गाँव-गाँव में निजी स्कूल खुल रहे हैं।इनमें तो पानी की सुविधा है और न ही खेल मैदान न अलग अलग टॉयलेट।बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों को मान्यता दे दी है।ये स्कूल शिक्षा को व्यापार बनाकर मोटी कमाई करने पर आमादा हैं,इनका बच्चों के भविष्य से कोसों दूर तक कोई नाता नही है।मोटी फीस वसूलने वाले कई स्कूल नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं।मान्यता नियमों के खिलाफ छोटे-छोटे भवनों में स्कूल लग रहे हैं।इनमें न तो खेल मैदान हैं,न बच्चों को बैठाने की पर्याप्त जगह है।स्कूल संचालकों और शिक्षा विभाग की मिलीभगत से गली-मोहल्लों में 600 से 800 वर्ग फीट के भवनों में स्कूल चल रहे हैं।कुछ जगह तो संचालक खुद के मकान में ही स्कूल का संचालन कर रहे हैं,जिनमे पर्याप्त जगह नही है।
मान्यता के प्रमुख बिंदु
आठवीं तक के स्कूल में बैठक व्यवस्था के हिसाब से 2 बाय 2 की जगह प्रति छात्र और खेल मैदान होना जरूरी है।इसी तरह हाई स्कूल का भवन 4 हजार वर्गफीट में और इसी में 2 हजार वर्गफीट का मैदान जरूरी है।हायर सेकंडरी स्कूल 5600 वर्गफीट में होनी चाहिए।इसी में 3 हजार वर्गफीट मैदान होना आवश्यक है।स्कूलों में पर्याप्त टॉयलेट,पानी,प्रकाश व्यवस्था के साथ ही फायर सेफ्टी के इंतजाम और विषयवार बीएड या समकक्ष योग्यता वाले शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए।
शिक्षा बनी कमाई का जरिया
जिले में अनेकों ऐंसे स्कूल है,जिनके पास पर्याप्त साधन या संसाधन नहीं हैं।बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर इनका संचालन किया जा रहा है।इन प्राइवेट स्कूलों मे ना खेल का मैदान की उचित व्यवस्था है और न ही शौचालयों की प्रथक् व्यवस्था है,पार्किंग के लिए वाहनों को रोड पर खड़ा करना पड़ती है और मारुति वैन से लेकर ऑटो में बच्चों को घर से स्कूल ले जा रहे हैं लेकिन इनके पास लाइसेंस तक नहीं हैं।ऐंसे में ये स्कूल केवल स्कूल मालिकों के लिए कमाई का जरिया बनकर रह गए है,बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहे ये स्कूल बेख़ौफ़ संचालित हो रहे है,जिले में इनका कोई धनी धौरी दिखाई नही देता है।
अधिकारी कब होंगे सजग
जब भी प्रदेश में कहीं स्कूली बच्चों के साथ घटनाएं घटती हैं,तब जरूर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग सक्रिय भूमिका में आ जाता है और कुछ दिनों के लिए प्रतिबंध सा नजारा दिखाई देता है।कुल मिलाकर शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में विद्यालय बिना मान्यता के सहारे संचालित हो रहे हैं।सुविधाओं के नाम पर अभिभावकों को जमकर लूटा जा रहा है।विद्यालय संचालकों द्वारा कोर्स एक ही दुकान पर रखकर बच्चों को मनमाने दाम लेकर कोर्स दिया जा रहा है।
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