वर्ष 1969 में औद्योगिक घराने चौहान परिवार के नेतृत्व में पारले ने बिसलेरी को खरीदा था। जब इस कंपनी को चौहान ने जोड़ा था तो उनकी उम्र उस समय केवल 28 साल थी। उस समय केवल 4 लाख में बिसलेरी कंपनी का सौदा हुआ था।
बोतल बंद पानी खरीदने जाएं तो सबसे पहले जो नाम जुबां पर आता है वो है बिसलेरी। बिसलेरी की बोतल अपने नाम से ही बिक जाती है हालांकि, ये देश से बाहर नहीं जा रहा है और इसी नाम से मिलता रहेगा। बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान ने इसे बेचने का फैसला किया है और खरीदने की दौड़ में सबसे आगे टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड है। लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि देश का सबसे लोकप्रिय ब्रांड होना और अच्छा कारोबार करने के बावजूद इसे बेचने की नौबत क्यों आई
रिपोर्ट में बताया गया है कि रमेश चौहान की बेटी और बिसलेरी की साझेदारी चेयरपर्सन जयंती भी कारोबार के लिए बहुत उत्सुक नहीं है। जिसके चलते अब बिसलेरी को बेचने की तैयारी की जा रही है। यहां बता दें कि बिसलेरी के पद और एमडी पद की जिम्मेदारी रमेश चौहान के कंधों पर है, वहीं उनकी पत्नी जैनब चौहान कंपनी की डायरेक्टर हैं।
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