न्यायालय के निर्णय से फायनेंस कंपनी को तगड़ा झटका
बैतूल। फायनेंस कंपनियॉ मोटर गाड़ी फायनेंस करते समय अपनी शर्तो पर ऋण अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाते समय 04 चैंक लेकर रख लेती हैं। प्रोसेसिंग फीस के नाम पर एक वर्ष का अग्रीम ब्याज वसूल लेती हैं। मासिक ईएमआई अदायगी में चूक होने पर कानून की प्रक्रिया को ठेंगा दिखाते हुए रिकवरी ऐजेन्ट वाहन छीन कर ले जा लेते हैं। फायनेंस कंपनी ऋण राषि की वसूली के लिए मध्यस्था एवं सुलाह अधिनियम 1996 एवं परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 का सहारा लेती हैं। कानून एवं न्याय का सवाल यह हैं कि ग्राहक से लाखों रूपए का वाहन छीन लेने के बाद भी फायनेंस कंपनी का पैसा बकाया कैसे रह जाता हैं?
न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी बैतूल विजय चौहान की अदालत में श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी की ओर से शाखा प्रबंधक राकेष धोटे द्वारा 05 लाख 41 हजार 256 रूपए का चैंक अनादरण का परिवाद पत्र धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 का पेष किया गया था। प्रष्नगत् चैंक पेषे से ड्राईवर फिरोज खान पिता अखमत खान निवासी ट्रांसपोर्ट कालोनी, कालीमाई, सारणी द्वारा जारी किया गया था जो कि बाउंस हो गया था।
न्यायालय में परिवादी राकेष धोटे अपना परिवाद पत्र संदेह से परे प्रमाणित करने में विफल हो गए। आरोपी का बचाव यह था कि पुराने चैंक का दुरूपयोग किया गया हैं तथा मॉग सूचना पत्र प्राप्त नहीं हुआ हैं। आरोपी के अधिवक्ता भारत सेन बताते हैं कि परिवाद पत्र में तकनीकि खामियॉ मौजूद थी। परिवादी ने लेन देन का संपूर्ण इतिहास परिवाद पत्र में प्रकट नहीं किया था। वाहन की कीमत का 85 प्रतिषत तक राषि फायनेंस कंपनी करती हैं तथा 15 प्रतिषत शेष राषि ग्राहक को लगानी पड़ती हैं। परिवाद पत्र मंे वाहन का मूल्य, फायनेंस की गई धनराषि, मासिक ईएमआई, ग्राहक द्वारा अदा की गई कुल मासिक ईएमआई तथा शेष बकाया धनराषि का वर्णन नहीं किया गया था। इसके अतिरिक्त श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी ने प्रबंधक राकेष धोटे को किस तरह से यह परिवाद पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत किया गया था इस संबंध में कंपनी का कोई दस्तावेज पेष नहीं किया गया था। न्यायालय ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद परिवादी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कंपनी का परिवाद पत्र क्र0 502151/2015 धारा 138 खारिज करते हुए आरोपी फिरोज खान ड्राईवर को दोषमुक्त कर दिया।
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