नमाज पर विशेष " *अल्लाह की महानता और उसके उपकारों का आभार प्रदर्शन है नमाज*

 


" इस्लामी जीवन व्यवस्था में हर वयस्क मर्द औरत पर पांच वक्त की नमाज अदा करना अनिवार्य है। और हफ्ते मे जुमा की विशेष नमाज अदा करना भी अनिवार्य है। और रमजान के महीने में रमजान की विशेष नमाज तरावीह भी अदा की जाती है। और ईद उल फितर और ईद ए कुर्बा को भी विशेष नमाज अदा की जाती है। किसी मुसलमान की मृत्यु होने पर भी विशेष नमाज जनाजाह अदा की जाती है। सफर बीमारी आपातकाल की स्थिति में कुछ छूट की व्यवस्था की गई है। नमाज किसी भी मुसलमान (अल्लाह के आज्ञा पालक) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह उसके मुसलमान होने की पहचान कराती है। नमाज क्या है नमाज ( अल्लाह की स्तुति एवं प्रशंसा) व्यक्त करने का नाम है। अल्लाह ने शरीर और आत्मा को एक साथ पैदा किया है। अगर यह बात सही है तो क्या यह जरूरी नहीं होगा कि इंसान जिस तरह अपने शरीर के साथ नमाज अदा करता है उसी तरह से अपनी आत्मा के साथ भी नमाज अदा करें। देखिए मैं आपको बताता हूं कि हम इस तरह नमाज क्यों पढ़ते हैं? हम काबे की ओर इस एहसास के साथ अपना चेहरा करते हैं की अल्लाह ही हमारी सोच विचार का केंद्र बिंदु है और खाने काबा एक दिशा है जो दुनिया भर के मुसलमानों का केंद्रीकरण करता है। और मुसलमान एक शरीर है जो सब बराबर है और सब समान है। हम सीधे खड़े होते हैं और दोनों हाथों की हथेलियों को कानों तक उठाकर अल्लाह की महानता व्यक्त करते हैं और कहते हैं अल्लाह हू अकबर ( अल्लाह ही महान है)। और फिर एक आज्ञाकारी की तरह आगे हाथ बांधकर अल्लाह की बढ़ाई व्यक्त करते हुये यह प्रार्थना करते हैं की " स्तुति एवं प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है। जो सारे जहानों का स्वामी पालनहार एवं शासक है। जो अत्यंत कृपाशील और बड़ा ही दयावान है। जो निर्णय के दिन का स्वामी है (ऐ अल्लाह) है। हम तेरी उपासना करते हैं और तुझी से सहायता चाहते हैं।

 हमें सन्मार्ग दिखा उन लोगों का मार्ग दिखा जिन पर तेरी अनुकंपा रही जिन पर तेरा प्रकोप नहीं हुआ और जो पथभ्रष्ट नहीं हुए। फिर हम कहते हैं आमीन( ऐ अल्लाह ऐसा ही हो)। फिर ऐसा ध्यान में रखते हुए कुरान का पाठ करते हैं कि यह अल्लाह की ओर से अवतरित जीवन संविधान है। जो उसने मनुष्य के जीवन को व्यवस्थित करने और सफल बनाने के लिए भेजा है। फिर हम अल्लाह की बढ़ाई व्यक्त करते हुए कहते हैं अल्लाह ही महान है।

 और यह विचार करते है कि अल्लाह के अतिरिक्त और कोई उपासना का अधिकारी नहीं है, और उसके सामने झुक जाते हैं और कहते हैं मेरा महान अल्लाह बड़ा ही महिमान हैं

 इसलिए कि हम उसे सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा समझते हैं और उसकी श्रेष्ठता और महानता का गुणगान करते हैं।

 और फिर सीधे खड़े हो जाते हैं और फिर कहते हैं की अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी गुणगान स्तुति की फिर अल्लाह की प्रशंसा महानता व्यक्त करते हुए धरती पर अपने माथे को रख देते हैं और कहते हैं मेरा सर्वोच्च अल्लाह बड़ा ही महिमावान है। इस भावना के साथ ही हम उसके सामने मिट्टी के बराबर है। उसने हमारी रचना की और वही हमारा पालनहार है। फिर हम उठ कर बैठ जाते हैं और पुनः अपने माथे को धरती पर रखते हैं और उसकी पवित्रता व्यक्त करते हैं और कहते हैं मेरा सर्वोच्च अल्लाह बड़ा ही महिमावान है। फिर पुनः खड़े हो जाते हैं और उपरोक्त क्रिया पुनः करते हैं। और बैठकर प्रार्थना करते हैं की " समस्त मौखिक, शारीरिक, आर्थिक आज्ञाकारिता उपासनाए अल्लाह ही के लिए है। हे संदेष्टा (हजरत मुहम्मद सल्ल.) आप पर सुख शांति हो और अल्लाह की कृपा और उसकी अनुकंपा हो सुख शांति हो हम पर और अल्लाह के समस्त सदाचारी भक्तों पर। मै गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य प्रभु नहीं है और मैं गवाही देता हूं कि हजरत मुहम्मद सल्ल.( अल्लाह की उन पर कृपा हो) उसके दास और संदेशवाहक (पैगंबर) है। फिर हम एक और प्रार्थना करते हैं और कहते हैं " हे अल्लाह दया और अनुकंपा कर हजरत मुहम्मद सल्ल. (अल्लाह की उन पर कृपा हो) पर और उनकी संतति पर अनुयायियों पर जिस प्रकार तूने दया और अनुकंपा की हजरत इब्राहिम अलै. (अल्लाह शांति प्रदान करें) पर और उनकी संतति पर और अनुयायियों पर निसंदेह तू सर्वथा प्रशंसनीय और महान है। इसके बाद एक विनती करते हैं अपने लिए कि " हे अल्लाह हमें दुनिया में भी भलाई दे और परलोक में भी भलाई दे, और हमें नरक की यातना से बचा। इसके बाद दाएं और बाएं ओर मुंह करके कहते हैं सुख शांति हो तुम पर और अल्लाह की कृपा इस प्रकार हम संसार के समस्त सदाचारियो पर शांति की प्रार्थना करते हैं। ऐसे ही सारे संसार के नबी हजरत मुहम्मद सल्ल. (अल्लाह की कृपा और दया हो उन पर) नमाज अदा किया करते थे। हर समय के लिए उन्होंने अपने अनुयायियों को यही विधि बताई है। ताकि इसके द्वारा पूरी तरह से अपने को अल्लाह के सुपुर्द करने का नमूना बन जाए। जो इस्लाम का अर्थ है यही और अल्लाह की ओर से और अपने परिणाम की ओर से संतोष और शांति प्राप्त करें। और इस प्रकार नमाज पूरी हो जाती है। आज विज्ञान से भी यह बात साबित हो चुकी है कि नमाज अदा करने की क्रियाओं से शरीर को स्वास्थ्य को अत्यंत लाभ होता है। जिससे मनुष्य सेहतमंद रहता है। नमाज से रोगों के बचाव के लिए एवं बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने हेतु अधिक जानकारी के लिए सुन्नते नबवी और आधुनिक विज्ञान किताब का अध्ययन अवश्य करें। *प्रस्तुति साजिद खान धनपुरी शहडोल मध्य प्रदेश*

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