विशेष लेख *अंग्रेज अफसर नील फैक्ट्री के मैनेजर इरविन ने रची थी मारने की साजिश* *महात्मा गांधी की जान बचाने वाले मोतिहारी के बत्तख मियां अंसारी*

 



   राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या किसने की? जवाब सभी को पता है। लेकिन क्या आप जानते हैं उस शख्स को जिसने 1917 में बापू की जान बचाई थी? उस देश प्रेमी की तीसरी पीढ़ी आज गरीबी की जिंदगी बसर कर रही है दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन  कर रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जान बचाने वाले बिहार मोतिहारी के बत्तख मियां अंसारी थे। घटना के 100 साल होने को है नील बनाने वालो पर अत्याचारों की पड़ताल के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बापू बिहार के मोतिहारी आए थे। नील फैक्ट्री के फिरंगी मैनेजर इरविन ने उन्हें रात के खाने पर बुलाकर उन्हें मार डालने का षड्यंत्र रचा। बत्तख मियां इरविन के रसोईया थे। इरविन ने उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बापू को जहर मिला दूध देने को कहा था। इसके बदले में उन्हें मालामाल करने का लालच भी दिया था। काम पूरा न करने पर उसे नौकरी से निकालने और सजा देने की भी चेतावनी दी गई। रात के खाने के बाद बत्तख मियां अंसारी दूध का प्याला लेकर बाबू के पास पहुंचे। मगर उन्होंने बताया कि दूध में जहर मिला है। अंग्रेजों ने बत्तख मियां अंसारी की जायदाद जब्त कर ली और उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया। घर जला कर खाक कर दिया। और परिवार बेघर हो गया।और बत्तख मियां को जेल में डाल दिया गया।

   राष्ट्रपति बनने के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति भवन की डायरी में इस घटना का जिक्र भी किया है। बतौर राष्ट्रपति 1950 में जब वह पहली बार मोतिहारी आए तो उन्होंने बत्तख मियां को 24 एकड़ जमीन देने की घोषणा की।  आज तक आदेश प्रभावी नहीं हो सका। अधिकांश जमीन बंजर और जंगली है। बत्तख मियां के निधन की जानकारी जब राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी को मिली तो उन्होंने 8 दिसंबर 1958 को उनके बच्चों को राष्ट्रपति भवन बुलाया। वहां ठहराया और फोटो खिंचवाई। 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने भी परिवार को मदद दिलाने के प्रयास किए थे। बत्तख मियां के पौत्र एवं मोहम्मद जान अंसारी के पुत्र अलाउद्दीन अंसारी ने बताया कि 1950 में डॉ राजेंद्र प्रसाद मोतिहारी आए तो उनसे मिलने वह अपने दादा मां-बाप के साथ गए थे। वहां उनकी मां और बत्तख मियां की बहु मोहीबन खातून ने अपना सोने का आभूषण दान में दिया।(सा.भा) बत्तख मिया अंसारी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आंध्र प्रदेश के ताड़ेपल्ली जिला गुंटुर के इतिहासकार सैयद नसीर अहमद द्वारा लिखित किताब *गांधीजी के प्राणरक्षक बत्तख मियां अंसारी* उर्दू हिंदी  में पढ़ सकते हैं। प्रस्तुति एवं संकलन - *साजिद खान धनपुरी शहडोल मध्य प्रदेश*

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