केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित एक विधेयक बृहस्पतिवार (08 अगस्त) को लोकसभा में पेश किया था लेकिन सदन में विपक्षी दलों के भारी विरोध को देखते हुए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का फैसला किया है। दूसरी तरफ, सरकार ने राज्यसभा से वक्फ संशोधन विधेयक, 2014 को वापस ले लिया है। पिछले 10 सालों में यानी नरेंद्र मोदी की सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सदन में कोई बिल पारित होने से अटका हो और उसे जेपीसी में भेजा गया हो।
वक्फ इस्लामी कानून के तहत एक धार्मिक दान है जिसमें मुस्लिम समुदाय की संपत्ति को धार्मिक, शैक्षिक या अन्य चैरिटेबल कार्यों के लिए समर्पित किया जाता है।
वक्फ बोर्ड इस संपत्ति का प्रबंधन करने वाली एक सरकारी संस्था होती है।
संशोधन बिल क्यों?
वर्तमान व्यवस्था में कमियां: मौजूदा व्यवस्था में कई कमियां बताई जाती हैं, जैसे कि संपत्ति के दुरुपयोग, पारदर्शिता की कमी, और महिलाओं का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व।
सुधार लाना: इस बिल के माध्यम से सरकार का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार लाना, पारदर्शिता बढ़ाना और वक्फ संपत्ति का अधिक प्रभावी उपयोग करना है।
बिल के प्रमुख बिंदु
महिलाओं का प्रतिनिधित्व: बिल में महिलाओं को वक्फ बोर्ड में अधिक प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान है।
पारदर्शिता: वक्फ संपत्ति के उपयोग और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए नए नियम बनाए जा सकते हैं।
जवाबदेही: वक्फ बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रावधान किए जा सकते हैं।
विवाद निपटान: वक्फ से संबंधित विवादों को शीघ्र और प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए नई व्यवस्था बनाई जा सकती है।
विवाद और चिंताएं
समुदाय का विरोध: कुछ मुस्लिम संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं और उनका मानना है कि यह समुदाय के मामलों में सरकार का हस्तक्षेप है।
स्वायत्तता: कुछ लोग चिंतित हैं कि यह बिल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम कर सकता है।
राजनीतिकरण: कुछ का मानना है कि इस बिल का राजनीतिकरण किया जा रहा है।
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